chetan_eklavya April 9, 2023, 9:05am #1
चिंतन शिविर में शिक्षा की पुनर्कल्पना (Critical Reflective Camp (Chintan Shivir) on Reimagining Education) संवाद शृंखला में विभिन्न शिक्षण पद्धतियों पर सवालों और चुनौतियों से जूझ रहे देश भर से आए साथियों के गंभीर और आलोचनात्मक विचारों को सुनने और भारत की शिक्षण व्यवस्था के असली मुद्दों को छूने की कोशिशों से रूबरू होने का भी मौका मिला। शिक्षा की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में शैक्षणिक विश्व के इस तथाकथित विस्तार में दुविधाओं और विरोधाभासों के दर्शन और चिंतन का कोई भी प्रयास स्वागत योग्य है, बल्कि इसकी सख्त आवश्यकता भी है।
जब हम इस मुश्किल समय में, जहाँ भारत की वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में स्कूली शिक्षा का मौजूदा ढांचा तेजी से बदल रहा है और शिक्षा का आधार संवैधानिक मूल्यों एवं लोक कल्याणकारिता के स्थान पर शासन-उन्मुखता और घोर व्यावसायिकता में क्रमिक रूप से परिवर्तित हो रहा है एवं शासन के तथाकथित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जिस तरह से राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में परिवर्तन किए जा रहे है, इससे शिक्षा के आधारभूत मानकों, सीखने-सिखाने की प्रक्रिया और विद्यार्थी के बौद्धिक विकास पर क्या असर पड़ रहा है, यह हम सभी बेहतर समझते हैं। भविष्य की शिक्षा कैसी हो, इसकी चर्चा के साथ ही हमें भारत में स्कूली शिक्षा में किए गए कुछ महत्वपूर्ण प्रयासों जैसे होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम के गुणात्मक मूल्यों और आज की शिक्षा की बुनियादी अवधारणा की अनिवार्यताओं और जटिलताओं का तुलनात्मक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
1972 में होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम में पारंपरिक पाठ्यपुस्तक-केंद्रित ‘रटकर सीखना’ पद्धति के स्थान पर गाँव के स्कूलों में विज्ञान सीखने के लिए ‘खोज’ दृष्टिकोण को विकसित करने का प्रयास किया, इसके पीछे एक मूल धारणा यह थी कि प्रयोगों और आसपास मौजूद पर्यावरण के अध्ययन के माध्यम से विज्ञान सीखने से बच्चों में प्रश्न पूछने और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलेगी।
होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों द्वारा विज्ञान कक्षाओं में विज्ञान की सैद्धांतिक अवधारणाओं को याद करने की बजाय अनुभवजन्य प्रक्रियाओं के माध्यम से सीखने के तरीकों का विकास करना रहा है। कक्षाओं में विद्यार्थियों के समूह द्वारा विज्ञान के प्रयोग और गतिविधियों के साथ अनुभवात्मक विज्ञान सीखना एक ऐसी शिक्षण रणनीति है, जो कक्षा के अनुभवों को वास्तविक जीवन स्थितियों और अनुप्रयोगों से जोड़ती है। इस प्रक्रिया में विद्यार्थियों में विज्ञान से जीवंत परिचय होने की संभावनाओं का जन्म होगा और वे विज्ञान से अपने जीवन को जोड़ कर देख सकेंगे।
यह कार्यक्रम अनुभवजन्य अधिगम अवधारणा की प्रक्रिया के बुनियादी चार सैद्धांतिक घटकों ठोस अनुभव, चिंतनशील अवलोकन, अमूर्त अवधारणा और सक्रिय प्रयोग के आयामों को क्रियान्वयन के धरातल पर गंभीरता से देखता रहा है। विभिन्न अनुसंधानों द्वारा यह साबित किया जा चुका है कि सभी उम्र के छात्र उन परिस्थितियों के दौरान बेहतर सीखते हैं जिनमें वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने, सक्रिय रूप से निर्णय लेने और फिर उनके सीखने में कार्यों और निर्णयों के परिणामों को व्यवहार में लागू करना शामिल होता है।
होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षण प्रक्रिया में क्रमिक बदलाव की अनिवार्यता को चिन्हित करते हुए विज्ञान शिक्षक की भूमिका को सशक्त करना भी है, साथ ही यह कार्यक्रम शिक्षा को एक ऐसी उत्पादक गतिविधि की तरह देखता है, जहाँ शिक्षा, पर्यावरण और समाज के बीच संबंध विद्यार्थी के चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों के विकास की संभावनाओं को जन्म देता है।
हमारी चिंताओं में हमें विज्ञान कक्षाओं में अनुभवजन्य शिक्षण प्रक्रियाओं के सिकुडते संसार को समझते हुए प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में विज्ञान की शिक्षा प्रणाली की सक्रिय विवेचना करने की गहन आवश्यकता है, ताकि विद्यार्थी आसपास की दुनिया की एक समग्र और साझा समझ हासिल कर सकें। यह उन्हें सामाजिक संवाद की संभावनाओं को अनावृत करते हुए अखिल विश्व का हिस्सा बनना सिखाता है।